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Showing posts from April, 2009

Memory

I am a pebble, the memory of what was once a mighty rock. I am a brown leaf, the memory of what was once a great banyan. I am small, and yet I am big.

உன் கண்கள் சொல்லும் கதை

உன் முகத்தில் படித்தேன் உன் கண்கள் சொல்லும் கதை. நீ சொல்லமல் தெரிந்தேன் உன் கண்கள் சொல்லும் கதை. உன் புன்னகையின் பாட்டில், உன் சிரிப்பின் பாவத்தில், ஏழிசைச் சேற்த்துக் கேட்டேன், உன் கண்கள் சொல்லும் கதை.

बीज - ‍एक खेल

ज़मीन खोदा, बीज बोया, वह फूटा किसमत का मारा, न बारिश आयी न पानी डाला, चमन उजडा, क़सूर का खेल क्या खेलें,चल चिलम भरते हैं | या ज़मीन खोदा, बीज बोया| सुबह आयी, न तूने पानी डाला न मैंने| क़सूर का खेल खेल लिया, चल चिलम भरते हैं| कल नया बीज होगा नया खेल| यह कृति उमर बहुभाषीय रूपांन्तरक की मदद से देवनागरी में टाइप की गई है|

The sleep that comes to all

I am the candle's dimming glow, I am the quake that fells the tower. I am the rust that blunts the plough, I am the graceless fall from power. I am the vine-enwreathed bower. I am the silent stringless lyre. I am the heat that wilts the flower, I am the damp that stills the fire. I am the end of all desire, I am the ceaseless rest all crave. I am the flagrance of the pyre, I am the repose of the grave. I am the ash to which ye fall, I am the sleep that comes to all.

फ़ासलों को नज़दीकी में तबदील करना

तुम्हारी अवाज़ को क़ैद करके मुझ तक पहुँचाने में कमाल करती है, पर टेलिफ़ोन की तार क्या जाने फ़ासलों को नज़दीकी में तबदील करना| वह शायर जो तुम्हारे हर अहसास को अपनी नज़्म में बयान करे, वह अल्फ़ाज़ का सौदागर जाने फ़ासलों को नज़दीकी में तबदील करना|| यह कृति उमर बहुभाषीय रूपांन्तरक की मदद से देवनागरी में टाइप की गई है|

मोर के पँख

देखो यह मोर के पँख - उडने के चार, दिखाने के डेढ़ हज़ार यह कृति उमर बहुभाषीय रूपांन्तरक की मदद से देवनागरी में टाइप की गई है|

तुमसे मिलने से मुकर जाता हूँ

दो पल का साथ फिर ज़िन्दगी तन्हा, तुमसे मिलने से मुकर जाता हूँ| दर्द फुग़ान हो जाने का डर इतना, तुमसे मिलने से मुकर जाता हूँ| 1 हवाएँ चुपके से कहती हैं कि मिलन की रुत आई तुम कहाँ हो, पर तुमसे बिछडने का डर इतना, तुमसे मिलने से मुकर जाता हूँ| 2 तुम आओगी, बोलोगी, हँसोगी, बडबडओगी, चली जाओगी, रुख़सत में तड़पने का डर इतना, तुमसे मिलने से मुकर जाता हूँ| 3 मेरे साँसों में अपनी ख़ुशबू छोड जाओगी, वह बहकाता रहेगा, उस याद में सिसकने का डर इतना, तुमसे मिलने से मुकर जाता हूँ| 4 घर आओगी तो बातें मत करना, दीवारें सुनकर देर दोहराएँगी, वह गूँज सुनकर रोने का डर इतना, तुमसे मिलने से मुकर जाता हूँ| 5 किसी चीज़ को हाथ मत लगाना, मेरा इबादतख़ाना भर गया है, यह इख़लास चूकने का डर इतना, तुमसे मिलने से मुकर जाता हूँ| 6 नज़राने मत दिया करो, शुक्रिया कहना मेरे बस की बात नहीं, ज़िन्दगी कम पडने का डर इतना, तुमसे मिलने से मुकर जाता हूँ| 7 तुम्हारी याद से पैर ज़मीन पर नहीं टिकते, तुम्हारा दीदार तौबा, ख़्वाब टूटकर गिर जाने का डर इतना, तुमसे मिलने से मुकर जाता हूँ| 8 हलकी बारिश की बूँदें फिर तुम्हारी आँसुओं की याद दिलाती हैं, इन्हें

रुख़सत

तुम बुलाती हो तो मुलाक़ात से मैं मुकर जाता हूँ मेरे इश्क़ पर शक़ ना करो, पर रुख़सत से डर जाता हूँ यह कृति उमर बहुभाषीय रूपांन्तरक की मदद से देवनागरी में टाइप की गई है|

कुदरत

वालदा कुदरत से क्या डरना, कभी तो जान देना है, जिस वालदा ने पैदा किया, उसी ने जान लेना है! यह कृति उमर बहुभाषीय रूपांन्तरक की मदद से देवनागरी में टाइप की गई है|