ख़्वाहिश ए कौम की आवाज़ सुनो, आ'इने वक़्त में झांक के देखो|
मुहिब्ब ए जान हो तो गौर करो, आ'इने वक़्त में झांक के देखो|
आवाज़ यह मौजूद ज़माने की, गली गली में गूँजती है|
सदा ए महकूम है इनक़िलाब, आ'इने वक़्त में झांक के देखो|
बादशाहों के ताज समन्दर की लहरों पर सफ़ेद झाग है
जो बहाकर ले जायेगी सैलाब, आ'इने वक़्त में झांक के देखो|
अपने नाम के मोहर पिघला दे, रुतबा सिर्फ़ आल्लाह का होगा|
याद रखना वह माँगेगा हिसाब, आ'इने वक़्त में झांक के देखो|
जला दो अपने फ़तवे फ़रमान, नकार दो यह शौक़त ओ शान
कितने दिन तक रहेगा शबाब, आ'इने वक़्त में झांक के देखो|
रौब-रुबाब जमाते-दिखाते, नज़रन्दाज़ न कर देना
इन सरगर्मियों के इज़तिराब, आ'इने वक़्त में झांक के देखो|
ज़मीन कांपते गिरेंगे महल, आग लगते जल जाएँगे ताज
तब भी करोगे इतना मक़ताब? आ'इने वक़्त में झांक के देखो|
यह कृति उमर बहुभाषीय रूपांन्तरक की मदद से देवनागरी में टाइप की गई है|
मुहिब्ब ए जान हो तो गौर करो, आ'इने वक़्त में झांक के देखो|
आवाज़ यह मौजूद ज़माने की, गली गली में गूँजती है|
सदा ए महकूम है इनक़िलाब, आ'इने वक़्त में झांक के देखो|
बादशाहों के ताज समन्दर की लहरों पर सफ़ेद झाग है
जो बहाकर ले जायेगी सैलाब, आ'इने वक़्त में झांक के देखो|
अपने नाम के मोहर पिघला दे, रुतबा सिर्फ़ आल्लाह का होगा|
याद रखना वह माँगेगा हिसाब, आ'इने वक़्त में झांक के देखो|
जला दो अपने फ़तवे फ़रमान, नकार दो यह शौक़त ओ शान
कितने दिन तक रहेगा शबाब, आ'इने वक़्त में झांक के देखो|
रौब-रुबाब जमाते-दिखाते, नज़रन्दाज़ न कर देना
इन सरगर्मियों के इज़तिराब, आ'इने वक़्त में झांक के देखो|
ज़मीन कांपते गिरेंगे महल, आग लगते जल जाएँगे ताज
तब भी करोगे इतना मक़ताब? आ'इने वक़्त में झांक के देखो|
यह कृति उमर बहुभाषीय रूपांन्तरक की मदद से देवनागरी में टाइप की गई है|
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Keep writing, your standards haven't slackened, on the contrary, they have improved.
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