कभी तेरे दीदार से मचली थी यादें | अब तड़पती रहती हैं मसली हुई यादें || कभी तेर आँखों में खो जाती थी साँसें | अब तलाशती रहती हैं मसली हुई यादें || गूँजती जब हँसी तेरी, निखर जाती हवाएँ | अब तरसती रहती हैं मसली हुई यादें || तेरे वायदे तेरे बातों से बान्धे थे सपने | अब बीख़रती रहती हैं मसली हुई यादें || मुस्कुराता था रामेश, पनपती आशाएँ | अब सिसकती रहती हैं मसली हुई यादें || (re-edited a bit) यह कृति उमर बहुभाषीय रूपांन्तरक की मदद से देवनागरी में टाइप की गई है|
The message is supreme;
Born in the heart,
and lilting itself
from tongue to tongue,
throwing its scent
over wind and wave;
travelling on dots
or fingers
when blindness
or silence bar its way.
It hews itself into stone
or burns itself onto magnetic discs;
it is the message that lives
and I exist
solely to pass it on.