अह्ल ए हकम की शाबाशी कभी हासिल न हो,
किसी तारीफ़नमे का दीदार कभी न हो,
पर करामात इतना छोड जाएँगे,
के लौह-ए-असल पर दर्ज रहेगा,
के मेहनत कभी कम नहीं हुई,
के जुनून कभी कम नहीं हुई |
यह कृति उमर बहुभाषीय रूपांन्तरक की मदद से देवनागरी में टाइप की गई है|
किसी तारीफ़नमे का दीदार कभी न हो,
पर करामात इतना छोड जाएँगे,
के लौह-ए-असल पर दर्ज रहेगा,
के मेहनत कभी कम नहीं हुई,
के जुनून कभी कम नहीं हुई |
यह कृति उमर बहुभाषीय रूपांन्तरक की मदद से देवनागरी में टाइप की गई है|
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