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Showing posts from October, 2006

Adorned by Flames

Build me a city", said Al-Mansour, "One the world has never seen before, Greater than the spread of Al-Cairo, A city to rival Mecca's glow, Humble the might of Damascus, Tell the world that kings are us! Here where mighty rivers meet A thousand foes shall taste defeat; Constantinople, Rome and Greece Shall make with us ignoble peace! With stone and mortar wright a song Make me a city grand and strong" A thousand plans were made and torn; The king poured out unvarnished scorn. "The tortuous history of mankind With this place should be entwined When in their thousands fools will die Make this city the reason why!" The architect in his confusion Struggled to match his master's vision. In his eyes then shone a gleam In burning sands he saw a dream Three mighty walls; a golden dome For the greatest, it shall be home! "Plough me a circle three miles wide Fill it with charcoal, wood and hide. Furrow another outside it And then plough yet one more pit. Whe...

बनारस

आइए जनाब, बनारस में आपका स्वागत है। इसे अपना ही शहर समझिये, हम और आप ग़ैर थोडी हैं! गंगास्नान करियेगा, विश्वनाथजी के दर्शन करियेगा। अच्छा, आप यहां दहशत फैलाने आए हैं? लाखों की जानें लेने आए हैं? आप ही का तो शहर है, जो मन चाहे करें। हम कौन होते हैं रोकने वाले? आप बम डालेंगे? शौक से डालिये। बीसों मारे गए तो क्या हुआ? छोटे-बडे शहरों में ऐसी छोटी-मोटी बातें तो होती ही रहती हैं। आपने जो काम मुंबई और दिल्ली में किया, भला यहां क्यों करेंगे? अब बनारस और अयोध्या जैसी छोटी शहरों में आपको क्या नसीब होगा? फिर भी, यह हमारी ख़ुशकिस्मती है कि हम पर भी आपके नज़र पडे। आप कहते हैं कि काशी-अयोध्या हमारे देश की नीव हैं, हमारे देश के अस्तित्व का प्रतीक हैं? जी ज़रूर, सही कहते हैं आप। आप इस नीव को हिलाना चाहते हैं? जी, अब आप ग़लत बात कहते हैं। हज़ारों को मार लीजिये, क़ौमी दंगे करवाइए। जो चाहे करिएगा, यह सपना छोड दीजिये कि आप हमारी नीव हिला सकते हैं। सैंकडों सालों से सींचा हुआ नीव है यह। आपकी ही तरह बहुतों आए। तुर्की आए, मुग़ल आए, अंग्रेज़ आए। उनका भी हमने स्वागत ही किया। अतिथी देव जो ठहरा! उन्होंने भी यही कोशिश की क...